8 जुलाई 2024 को भारतीय रुपये ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मामूली सुधार दर्ज किया।
बाजार बंद होने पर: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में मामूली सुधार
- रुपया ₹83.49 पर बंद हुआ, जो कल के बंद भाव ₹83.50 से 1 पैसे अधिक है।
- यह मामूली सुधार पिछले कुछ दिनों में रुपये में गिरावट के रुझान को तोड़ता है।
विदेशी मुद्रा बाजार में: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में मामूली सुधार
- विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को शुद्ध रूप से ₹2,572.38 करोड़ के शेयर खरीदे।
- यह सकारात्मक प्रवाह रुपये को मजबूत करने में मदद कर सकता है।
विश्लेषकों का कहना है: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में मामूली सुधार
- रुपये की गतिविधि वैश्विक बाजारों और अमेरिकी डॉलर की गतिविधियों पर निर्भर करेगी।
- अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना रुपये पर दबाव डाल सकती है।
कुल मिलाकर: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में मामूली सुधार
- रुपये की संभावनाएं अल्पावधि में अस्थिर रहने की संभावना है।
- निवेशकों को विदेशी मुद्रा बाजार में किसी भी बड़े बदलाव पर नजर रखनी चाहिए।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा, 83.60 के पार
नई दिल्ली: 12 जुलाई, 2024 को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया, 83.60 के स्तर को पार कर गया। यह लगातार छठा दिन है जब रुपया कमजोर हुआ है।
विदेशी मुद्रा बाजार में: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में मामूली सुधार
- विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को शुद्ध रूप से ₹1,412.20 करोड़ के शेयर बेचे।
- यह नकारात्मक प्रवाह रुपये पर दबाव डाल रहा है।
विश्लेषकों का कहना है: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में मामूली सुधार
- अमेरिकी डॉलर की मजबूती और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता रुपये पर दबाव डाल रही है।
- अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना रुपये के लिए और भी अधिक नकारात्मक हो सकती है।
क्या करें: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में मामूली सुधार
- निवेशकों को विदेशी मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव पर नजर रखनी चाहिए और सूचित निर्णय लेने चाहिए।
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपये को स्थिर करने के लिए हस्तक्षेप कर सकता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मुद्रा बाजार अस्थिर हो सकते हैं, और रुपये की कीमतें भविष्य में उतार-चढ़ाव जारी रख सकती हैं।
यहां कुछ अतिरिक्त कारक दिए गए हैं जो रुपये को प्रभावित कर सकते हैं:
- कच्चे तेल की कीमतें: कच्चे तेल के आयातक होने के नाते, भारत उच्च तेल की कीमतों से प्रभावित होता है।
- व्यापार घाटा: यदि भारत का व्यापार घाटा बढ़ता है, तो इससे रुपये पर दबाव पड़ सकता है।
- राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता: राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता विदेशी निवेशकों को डरा सकती है और रुपये को कमजोर कर सकती है।
मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी उपयोगी है।
यदि आपके कोई अन्य प्रश्न हैं, तो कृपया बेझिझक पूछें।